भाजपा नेता चंपाई सोरेन के बयानों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने प्रेस बयान जारी कर कहा कि भाजपा को राज्य की जनता के मुद्दों से कोई सरोकार नहीं है। बांग्लादेशी घुसपैठ के नाम पर झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों को बांटने का प्रयास किया जा रहा है। केंद्र सरकार के स्पेशल टास्क फोर्स के गठन का असली मकसद आदिवासी समाज को डराने और कमजोर करने का षड्यंत्र है। उन्होंने कहा कि भाजपा आदिवासियों के नाम पर राजनीति कर रही है, लेकिन सत्ता में रहते हुए उन्होंने कभी सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं दी। महासचिव विनोद पांडेय ने आगे कहा कि महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भाजपा को झारखंड सरकार को घेरने का कोई अधिकार नहीं है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा पूरी तरह केंद्र सरकार का विषय है। अगर घुसपैठ हुआ है तो इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपनी गलती को सुधारने के लिए कदम बढ़ाना चाहिए। लेकिन अपनी गलती का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने की अपनी आदत के अनुकूल भाजपा काम करती दिख रही है। धर्मांतरण पर चंपाई सोरेन के बयान पर पांडेय ने कहा कि भाजपा हमेशा से ही धार्मिक ध्रुवीकरण कर सत्ता हासिल करने की कोशिश करती रही है। उन्होंने कहा कि झामुमो ने आदिवासियों-मूलवासियों के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष किया है और आगे भी करता रहेगा। भाजपा को चाहिए कि वह आदिवासियों के मुद्दों पर राजनीति करने के बजाय उनके अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।
क्या था चंपई सोरेन का बयान?
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने रांची स्थित मोहराबादी आवास में प्रेस वार्ता में कहा कि गठबंधन की सरकार में आईना की तरह साफ़ नज़र आ रहा है कि यहां पर आदिवासियों की जमीन को लूटा गया है। सिद्धू कान्हु के धरती भोगनाडीह पर भी कब्जा कर लिया है। इसलिए यह सब को रोकने के लिए जन आंदोलन का रास्ता को अपनाएंगे। 30 जून से जन आंदोलन की तैयारी में लग गया हूँ। केंद्र सरकार ने हर राज्य को दिशा निर्देश दे दिया है कि बांग्लादेशी घुसपैठ को पहचान करने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाना है। सभी घुसपैठ को चिन्हित कर उसका दस्तावेज जांच कर बाहर निकालना है।
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